Skip to main content

आना उत्तराखंड प्रिये

"आना उत्तराखंड प्रिये"
           Jitendra Rai
क्यों तपती हो गर्मी में तुम
भीग पसीने में फिरती
शीत पवन के झोंके लेने
आना उत्तराखण्ड प्रिये।
     सूखा गला और गर्म हैं सांसे
     खौल रहा बोतल बंद पानी
     नौले धारों का पानी पीने
    आना उत्तराखंड प्रिये।
फूल रहा है दम तेरा
मुरझा रही मुख की लाली
अपने मन की बात बताने
आना उत्तराखण्ड प्रिये।
     उत्तराखण्ड के बुग्यालों में
     पला बढ़ा जीवन मेरा
    जीवन को जी भर जीने
    आना उत्तराखंड प्रिये।
नकली फूलों की नकली लाली
देखी है अब तक तुमने
फूलों की घाटी में मिलने
आना उत्तराखंड प्रिये।
      स्विमिंग पूल में तैराकी से
      आनंद कहाँ मिला होगा
     अलकनंदा में डुबकी लेने
    आना उत्तराखंड प्रिये।
ऊँचे नीचे शिखरों में चल
करेंगे जी भर बातें
बुरांस काफल पर प्यार लुटाने
आना उत्तराखंड प्रिये।


...........
 उत्त्तराखंडी कवितायें।। हिंदी कवितायेँ।। जीतेन्द्र राय का काव्य।।।। आधुनिक कवितायेँ। छंदमुक्त कवितायेँ।।छंदबद्ध कवितायेँ।। hindi poems by Jitendra Rai..modern hindi poems..poems in free verse..uttarakhandi poetry...

Comments