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Showing posts from September, 2017

वो न समझी

"वो न समझी"' Jitendra Rai वह चिड़िया थी। उड़ती थी खुली वादियों में। मैं नींद में उनींदा। वह चहचहाई तो नींद से जागा, अपना भाग्य तलाशा। मुस्कुराने लगा। जीने की राह मिल गई थी। मैंने भी चहचहाने की कोशिश की तो उसकी चहचहाहट बन्द हो गई। उसे दुख था। यूँ ही चहचहाती थी, उसके अंदर मरती जिंदगी को देख लिया था मैंने। नहीं समझा पाया उसे कि साथ चलेंगे तो दुख साझा होगा। वो न समझी। उड़ गई फिर खुली वादियों में चहचहाते हुए, आँसू सिर्फ मैं ही देख पाया। @ Short stories by Jitendra Rai. Short story, Hindi laghu katha, लघु कथाएं। लघु कथा, जितेंद्र राय की लघु कथाएं, उत्तराखंड साहित्य, गढ़वाल, गढ़वाली लेखक,पहाड़ी।

गन्दे नाले की मछली

"गंदे नाले की मछली"   Jitendra Rai My first short story... वह सुंदर थी, बेहद सुंदर, पर किसी गंदे नाले में जी रही थी। मैं साफ पानी मे उन्मुक्त था। उसे देखा तो कहीं अंदर से आवाज आई कि उसे भी अपने साथ साफ पानी में ले आऊं। 15 दिन तक बात करता रहा उससे, पर जब भी उस गंदगी में जाता था,नाक पर रुमाल रखना पड़ता था। वह भी खुश थी, बहुत ज्यादा। साफ पानी की जिंदगी के ख्वाब वह भी देखने लगी थी। एक दिन उसकी जिंदगी से अपनी जिंदगी की तुलना कर बैठा। वह नाराज हो गई, बहुत ज्यादा नाराज। मैं बोला कब तक गंदगी में पड़ी रहोगी, फिर और ज्यादा नाराज हो गई। मैं चाहता था उसे अपने साथ रखूं किन्तु वह कुछ ऐसा बोली कि हृदय फट पड़ा, सीने में दर्द उठ गया। बोली मैं यहां ज्यादा खुश हूं, नहीं चाहिए स्वच्छ जल। मैं जानता था वह गलत थी। इसलिए जिद कर बैठा उसे साफ पानी मे लाने की, उसने कीचड़ उछाल दिया मेरी तरफ।  @ Short stories by Jitendra Rai. Short story, Hindi laghu katha, लघु कथाएं। लघु कथा, जितेंद्र राय की लघु कथाएं, उत्तराखंड साहित्य, गढ़वाल, गढ़वाली लेखक,पहाड़ी।