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परजीवी

"परजीवी"
सभी ने उसके लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया,अपना सुख चैन, कमाई धमाई। वह था भी मेधावी। अपना मुकाम हासिल कर गया। पूरा परिवार दादा दादी, माँ पापा, चाचा चाची, भाई बहन देवपूजन करने लगे, उनका सत सत नमन करने लगे। जल्द ही बहू घर आ गई। वह संस्कारों की प्रतिमूर्ति। वह सर्वस्व पर हक जमाने वाली। डर डर कर बात करते हैं आजकल जिन्होंने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। परजीवी बनकर रह गए हैं।
@ Short stories by Jitendra Rai.
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तुमथें सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां फिर।

"तुमथें सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां फिर।" Jitendra Rai लाला जी दुकान म सुबेर भटी बैठ्यां छा, पर एक बि ग्राहक नि ऐ। 9 बजी अचानक लाला जी कु बी पी बढ़ी गे अर बेहोश ह्वे गीं। लाली चाय दीणु कु ऐ त हाय तौबा मची गे " हे सौणी का बाबा। हे क्य ह्वै तुमथें? कन बिजोक ह्वे। सर्यो बजार खुल्ला च अर कैल युंथे नि देखी। क्वी त आवा"    हल्ला सूणि के भीड़ जमा ह्वे ग्याई। तत्काल 108 बुलये गे। वजन ज्यादा छौ लाला जी कु त कई लोग लगीं तब जैकी लाला जी गाड़ी म बिठये जै सकीं।    अस्पताल म बनि बनि क मरीज। डॉक्टर साबन इंजेक्शन दे त होश आई लाला जी थैं। इने उने देखी त लगी कि सर्री दुनिया बीमार च। लोग भैर कम भितर अस्पताल म जादा छिन। चेक अप का बाद रिपोर्ट आई। बी पी टेंशन की वजह से बढ़ी गे छौ। सूगर नॉर्मल छाई। कुछ दवे अर कुछ हिदायत दीं डॉक्टर साबन, अर लाला जी घौर पौंची गीं।  अगला दिन दुकनि म भीड़ लाला जी कि। बनि बनि की बत्था। "भरपूर छा पैसा पाई जमीन जैदाद से। तुमथें क्यांकि ह्वाई टेंशन?"  "सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां लालाजी?" "हाँ भै अमीर आदिम छिन,...