"परजीवी"
सभी ने उसके लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया,अपना सुख चैन, कमाई धमाई। वह था भी मेधावी। अपना मुकाम हासिल कर गया। पूरा परिवार दादा दादी, माँ पापा, चाचा चाची, भाई बहन देवपूजन करने लगे, उनका सत सत नमन करने लगे। जल्द ही बहू घर आ गई। वह संस्कारों की प्रतिमूर्ति। वह सर्वस्व पर हक जमाने वाली। डर डर कर बात करते हैं आजकल जिन्होंने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। परजीवी बनकर रह गए हैं।
@ Short stories by Jitendra Rai.
Short story, Hindi laghu katha, लघु कथाएं। लघु कथा, जितेंद्र राय की लघु कथाएं, उत्तराखंड साहित्य, गढ़वाल, गढ़वाली लेखक,पहाड़ी।
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