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बेसिर पैर

"बेसिर, पैर "  Another absurd
उसका नाम रुलदू है, उसे रोते नहीं देखा मैंने कभी। तुम तो हंसमुख हो न, कभी हँस भी लिया करो। कल भीमू मिला था मुझे, शिकार खा रहा था । हड्डियाँ एक तरफ रख रहा था और अपनी हड्डियों में शिकार चढ़ जाने की कामना कर रहा था। सरला ने तो गली में गालियों की बौछार कर रखी है और सरल गणित के कठिन सवालों में उलझा है।राजकुमार की कटोरी में 10 रुपये डाले मैंने तो राजा को भी बुला लाया, मजबूरन उसे भी देने पड़े। रानी बेचारी दूर से देख रही थी। सुना है भोलू चालू हो गया है, भालुओं की खाल का तस्कर है कह रहा था कोई। यह किसी और ने नहीं बल्कि सुरीली ने अपनी कर्कश आवाज में बताया मुझे। सुनो , बहुत बोलते हो, तुम तो जीत हो न। हार क्यों जाते हो फिर।
"तुम्हारी हार की मांग सुनकर"
Absurd by Jitendra Rai "Jeet"
Uttarakhand literature, Laghu katha, Garhwali sahity, pahadi sahity, लघु कथाएं, जीत, कहानियां, उत्तराखंडी साहित्य।

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तुमथें सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां फिर।

"तुमथें सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां फिर।" Jitendra Rai लाला जी दुकान म सुबेर भटी बैठ्यां छा, पर एक बि ग्राहक नि ऐ। 9 बजी अचानक लाला जी कु बी पी बढ़ी गे अर बेहोश ह्वे गीं। लाली चाय दीणु कु ऐ त हाय तौबा मची गे " हे सौणी का बाबा। हे क्य ह्वै तुमथें? कन बिजोक ह्वे। सर्यो बजार खुल्ला च अर कैल युंथे नि देखी। क्वी त आवा"    हल्ला सूणि के भीड़ जमा ह्वे ग्याई। तत्काल 108 बुलये गे। वजन ज्यादा छौ लाला जी कु त कई लोग लगीं तब जैकी लाला जी गाड़ी म बिठये जै सकीं।    अस्पताल म बनि बनि क मरीज। डॉक्टर साबन इंजेक्शन दे त होश आई लाला जी थैं। इने उने देखी त लगी कि सर्री दुनिया बीमार च। लोग भैर कम भितर अस्पताल म जादा छिन। चेक अप का बाद रिपोर्ट आई। बी पी टेंशन की वजह से बढ़ी गे छौ। सूगर नॉर्मल छाई। कुछ दवे अर कुछ हिदायत दीं डॉक्टर साबन, अर लाला जी घौर पौंची गीं।  अगला दिन दुकनि म भीड़ लाला जी कि। बनि बनि की बत्था। "भरपूर छा पैसा पाई जमीन जैदाद से। तुमथें क्यांकि ह्वाई टेंशन?"  "सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां लालाजी?" "हाँ भै अमीर आदिम छिन,...