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Showing posts from July, 2017
"पाड़ा की चेली" तेरो भाग म दिनभरो कु काम कस काटली जिंदगी। दूर नौला पार वन घास पानी म रौलि जिंदगी। कस व्योहार कर्ला लोग तू पैली इज बाज्यू की प्यारी अब ब्वारी ह्वेग। पर तू चेली छै उच्चा पाडूं की मैं के पता तू अच्छू काटली अपड़ी जिंदगी। कला कर छै अफ़सोस पाड़ म ब्या हैगो 100 साल होली तेरी जिंदगी। ........ जीतेन्द्र राय काव्य। आधुनिक गढ़वाली कवितायेँ। गढ़वाली कवितायेँ। गढ़वाली गीत।। पहाड़ी काव्य। कुमाउँनी कवितायेँ। Poetry by Jitendra Rai.. modern Garhwali poems...pahadi kavitayen...kumauni kavitayen...pahadi geet ..kavitayen pahad ki.

A Short Story

"A short story"       Jitendra Rai  "Are you ok?" "Hmm" He walked Did not understand that It was monsoon.. Tears were flowing, In rain, Fog kept covered sobbing face . ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। Poetry by Jitendra Rai..english poems...modern english poetry.. spontaneity of a poet...

आना उत्तराखंड प्रिये

"आना उत्तराखंड प्रिये"            Jitendra Rai क्यों तपती हो गर्मी में तुम भीग पसीने में फिरती शीत पवन के झोंके लेने आना उत्तराखण्ड प्रिये।      सूखा गला और गर्म हैं सांसे      खौल रहा बोतल बंद पानी      नौले धारों का पानी पीने     आना उत्तराखंड प्रिये। फूल रहा है दम तेरा मुरझा रही मुख की लाली अपने मन की बात बताने आना उत्तराखण्ड प्रिये।      उत्तराखण्ड के बुग्यालों में      पला बढ़ा जीवन मेरा     जीवन को जी भर जीने     आना उत्तराखंड प्रिये। नकली फूलों की नकली लाली देखी है अब तक तुमने फूलों की घाटी में मिलने आना उत्तराखंड प्रिये।       स्विमिंग पूल में तैराकी से       आनंद कहाँ मिला होगा      अलकनंदा में डुबकी लेने     आना उत्तराखंड प्रिये। ऊँचे नीचे शिखरों में चल करेंगे जी भर बातें बुरांस काफल पर प्यार लुटाने आना उत्तराखंड प्रिये। ...........  उत्त्तराखंडी कविताय...

Garhwali Poem

"तु चलदी रै"         Jitendra Rai उलझी गे जिंदगी ककड़ी का  लगुला जन, पर तु फूल अपड़ी  मुखड़ि पर ही आण दे। घूमि गे जिंदगी भागीरथी सी यूँ आंख्युं क्वी दोष नी तु पाणी गोमुख  थैं ही बुगाण दे। भरपाई नि ह्वे सकदी जु खुयालि तिल पर उठण त पोड़लो ही हिमालय सी हिम्मत अफ फर बि आण दे। सवाल पुछद नियति हर मोड़ पर जिंदगी का तिल जाण कने च? बस तू चलदी रै किस्मत थैं अपड़ी छवीं  अफ्फी पुराण दे। ........ जीतेन्द्र राय काव्य। आधुनिक गढ़वाली कवितायेँ। गढ़वाली कवितायेँ। गढ़वाली गीत।। पहाड़ी काव्य। कुमाउँनी कवितायेँ। Poetry by Jitendra Rai.. modern Garhwali poems...pahadi kavitayen...kumauni kavitayen...pahadi geet ..kavitayen pahad ki.