"तुमथें सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां फिर।" Jitendra Rai
लाला जी दुकान म सुबेर भटी बैठ्यां छा, पर एक बि ग्राहक नि ऐ। 9 बजी अचानक लाला जी कु बी पी बढ़ी गे अर बेहोश ह्वे गीं। लाली चाय दीणु कु ऐ त हाय तौबा मची गे " हे सौणी का बाबा। हे क्य ह्वै तुमथें? कन बिजोक ह्वे। सर्यो बजार खुल्ला च अर कैल युंथे नि देखी। क्वी त आवा"
हल्ला सूणि के भीड़ जमा ह्वे ग्याई। तत्काल 108 बुलये गे। वजन ज्यादा छौ लाला जी कु त कई लोग लगीं तब जैकी लाला जी गाड़ी म बिठये जै सकीं।
अस्पताल म बनि बनि क मरीज। डॉक्टर साबन इंजेक्शन दे त होश आई लाला जी थैं। इने उने देखी त लगी कि सर्री दुनिया बीमार च। लोग भैर कम भितर अस्पताल म जादा छिन।
चेक अप का बाद रिपोर्ट आई। बी पी टेंशन की वजह से बढ़ी गे छौ। सूगर नॉर्मल छाई। कुछ दवे अर कुछ हिदायत दीं डॉक्टर साबन, अर लाला जी घौर पौंची गीं।
अगला दिन दुकनि म भीड़ लाला जी कि। बनि बनि की बत्था।
"भरपूर छा पैसा पाई जमीन जैदाद से। तुमथें क्यांकि ह्वाई टेंशन?"
"सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां लालाजी?"
"हाँ भै अमीर आदिम छिन, पैसा ह्वालु त रोग त ह्वाला ही।" ||Jitendra Rai||
लाली थैं ही आण पोड़ी फिर बीच म।
"अब अपड़ो काम धाम कैरा। सौंणी क बबा जी कु फेर बी पी नि बढ़ावा। चिंता च यूँकी त राशन पत्ता बस यूँ भटे ही ल्यावा।"
Garhwali humour by Jitendra Rai
Garhwali satire, irony, Garhwali short story, kahani, गढ़वाली व्यंग्य, मजाक, लघु कथा, जितेंद्र राय, कहानी।
लाला जी दुकान म सुबेर भटी बैठ्यां छा, पर एक बि ग्राहक नि ऐ। 9 बजी अचानक लाला जी कु बी पी बढ़ी गे अर बेहोश ह्वे गीं। लाली चाय दीणु कु ऐ त हाय तौबा मची गे " हे सौणी का बाबा। हे क्य ह्वै तुमथें? कन बिजोक ह्वे। सर्यो बजार खुल्ला च अर कैल युंथे नि देखी। क्वी त आवा"
हल्ला सूणि के भीड़ जमा ह्वे ग्याई। तत्काल 108 बुलये गे। वजन ज्यादा छौ लाला जी कु त कई लोग लगीं तब जैकी लाला जी गाड़ी म बिठये जै सकीं।
अस्पताल म बनि बनि क मरीज। डॉक्टर साबन इंजेक्शन दे त होश आई लाला जी थैं। इने उने देखी त लगी कि सर्री दुनिया बीमार च। लोग भैर कम भितर अस्पताल म जादा छिन।
चेक अप का बाद रिपोर्ट आई। बी पी टेंशन की वजह से बढ़ी गे छौ। सूगर नॉर्मल छाई। कुछ दवे अर कुछ हिदायत दीं डॉक्टर साबन, अर लाला जी घौर पौंची गीं।
अगला दिन दुकनि म भीड़ लाला जी कि। बनि बनि की बत्था।
"भरपूर छा पैसा पाई जमीन जैदाद से। तुमथें क्यांकि ह्वाई टेंशन?"
"सूगर नीच त इथगा मिट्ठू कनख्वे बोल्द्यां लालाजी?"
"हाँ भै अमीर आदिम छिन, पैसा ह्वालु त रोग त ह्वाला ही।" ||Jitendra Rai||
लाली थैं ही आण पोड़ी फिर बीच म।
"अब अपड़ो काम धाम कैरा। सौंणी क बबा जी कु फेर बी पी नि बढ़ावा। चिंता च यूँकी त राशन पत्ता बस यूँ भटे ही ल्यावा।"
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